Sunday, August 9, 2020

मेरी अंतिम यात्रा - Meri Antim Yatra


हँसते खेलते हुये एक दिन इस दुनिया से चले जाना है

ये दुनिया तो मेरे लिये मात्र बस एक मुसाफिर खाना है


जिस दिन यह साँसे और दिल की धडकन रुक जायेगी

उस दिन इस भवसागर से मेरी भी डोली उठाई जायेगी


लकडी का विमान बनेगा सफेद चादर औढाई जायेगी

घरवालों के नयनन से आँसूओ की गंगा बहाई जायेगी


चार जने मिल कर उठायेगे फिर विमान पर ले जायेगे

राम नाम सत्य है कि आवाज सभी मिल कर लगायेगे


फुलो की बरसात होगी चंदनइत्र से काया महक उठेगी

मुझको इसकी खबर ना होगी घर से दूर लेकर जायेगे


ऊपर लकडी नीचे लकडी होगी उस पर मुझे लेटायेगे

अंतिम घडी का प्रणाम करके मेरे तन मे आग लगायेगे


धुं धुं कर मेरी ये काया जलेगी अंत मे राख हो जायेगी

क्रियाकर्म करेगे मेरा मुझे गरुण पुराण सुनाई जायेगी


बारह दिन तक याद रखेगे फिर सब मुझे भुल जायेगे

मेरी पत्नी कुछ दिन रोयेगी आखिर मै चुप हो जायेगी


मेरे शब्द ही मेरी पहचान बनेगे कलम चुप हो जायेगी

कोरे कागज पर बिखरी ये स्याही मेरी गाथा सुनायेगी


एक था "मनु" लिखता था कभी गजल कविता कहानी

अब उसकी जिंदगी की किताब की भी खत्म हुई कहानी


"दिल की कलम" यहाँ वहाँ गुम होकर गुमनाम हो गई

एक लेखक के अल्फाज की आवाज भी शांत हो गई


मनु 10.01.2020

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