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Friday, December 13, 2019

मुक्ति - एक लघु कथा । Mukti - ek laghu katha

"किसने आवाज दी "कौन है बाहर , बुडी दादी ने जोर से कहा , बुडी दादी जो मेरे घर के पास रहती है उम्र करीब अस्सी साल , और मेरी उम्र मात्र तेरह साल , बुडी दादी की धीरे धीरे याददाश्त आने जाने लगी थी अक्सर वह आधी रात को बहकने लगी थी मैने घर आकर अपनी माँ को बुडी दादी के बारे मे पुछा , माँ ने कहा भरा पुरा परिवार था बुडी दादी का , लेकिन पता नही किसकी नजर लग गयी इस घर को , बुडी दादी के इकलोती बेटी थी बडे ही चाव से शादी की थी उसकी , नाम था अनीता , लेकिन अनीता को ससुराल ऐसा मिला कि सभी उसे दहेज के लिए प्रताडित करते थे और अनीता के पिता तो बहुत पहले मर चुके थे इधर उधर से जोड जुगाड से अनीता की शादी बुडी दादी ने की थी और अंत मे अनीता को भी ससुराल वालो ने दहेज के लालच मे जलाकर मार दिया , बुडी दादी ने बहुत कुछ दुख देखा है अपने जीवन मे , इतना कहकर माँ चुप हो गयी ,लेकिन मैने माँ से कहा कि माँ मे कल बुडी दादी से जरूर मिलने जाऊँगा इतना कहकर मै खाना खाकर खो गया , सुबह मेरी आँखें रोने की आवाज के साथ खुली घर से बाहर आकर देखा तो बुडी दादी के खंडहर हुए घर के बाहर भीड इकट्ठा थी मैने माँ से पुछा कि माँ ये भीड क्यो लगी है बुडी दादी के घर के बाहर , तो माँ ने मुझे बताया कि आज बुडी दादी को सारे दुखो से मुक्ति मिल गयी है बुडी दादी मर चुकी थी और मेरे मन मे बहुत से सवाल थे कि हमे गरीबी , दहेज , बलात्कार , अशिक्षा , जातिवाद , धर्म की लडाई से कब मुक्ति मिलेगी ?

समाप्त
मनु