Wednesday, July 26, 2023

ऐ मेरे वतन के लोगों सांग लिरिक्स । He mere vatan ke logo song lyrics

लिरिक्स - कवि प्रदीप कुमार
आवाज - स्वर कोकिला लता मंगेशकर 

ऐ मेरे वतन के लोगों ,तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का ,लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर ,वीरों ने हैं प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो ,जो लौट के घर न आये 

ऐ मेरे वतन के लोगों ,ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ,ज़रा याद करो क़ुरबानी

जब घायल हुआ हिमालय ,खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो ,फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा ,सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ,ज़रा याद करो क़ुरबानी

जब देश में थी दीवाली ,वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में ,वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने ,थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ,ज़रा याद करो क़ुरबानी

कोई सिख कोई जाट मराठा ,कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला ,हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर ,वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ,ज़रा याद करो क़ुरबानी

थी खून से लथ-पथ काया ,फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा ,फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त-समय आया तो ,कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों ,अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने ,क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ,ज़रा याद करो क़ुरबानी

तुम भूल न जाओ उनको ,इसलिये कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ,ज़रा याद करो क़ुरबानी

जय हिन्द...

Sunday, May 2, 2021

मनु का जीवन परिचय मनु कौन थे


मेरा पुरा नाम मनीष शर्मा है मै मनु नाम से लिखता हुँ मेरा जन्म 10 फरवरी 1982 को राजस्थान के झुँझनू जिले की तहसील मुकंदगढ मे हुआ मेरे पिता जी का नाम श्री कल्याण शर्मा और माता जी का नाम श्री मती मुन्नी देवी है मेरे पिता जी जयपुर मे प्राइवेट फर्म मे कार्यरत थे इसीलिए मेरी पढाई शुरू से जयपुर मे ही हुई मैने आई टी आई मे फिटर ट्रेड से पढाई की उसके बाद जाँब करते हुए ही बी ए स्नातक किया उसके बाद सोशीयोलाँजी से एम ए किया फिर एल एल बी की , ऐसे ही जीवन बीत रहा था और मेरी उम्र 38 हो गयी एक आदमी जिसने हमेशा हाथ मे प्लायर ,पेचकस ,स्पेनर ,हैक्सा (आरी)पकडी और मशीन चलाई उसके हाथ मे कलम कब आई पता ही नही चला , मुझे लिखने की प्रेरणा मेरे जितेन्द्र मामा जी से मिली ,उन्होंने मुझे पहली बार अहसास करवाया कि मै लिख भी सकता हुँ मामा जी ने हमेशा मुझे सहयोग किया और मेरी सभी शंकाओ का समाधान किया उनके द्वारा मुझे हमेशा सबल मिलता रहा । मेरी शुरुआत कहानी लिखने से हुई मेरी पहली कहानी अहसास थी लेकिन मेरी दुसरी कहानी सुनीता ने मुझे लेखक का दर्जा दिलाया । मेरी लिखी कहानी रजनीगंधा मुझे सबसे अधिक प्रिय लगती है इस कहानी को लिखते समय मेरे आँखों से कई बार आँसू बहे । मुझे तो कलम चलाते समय आज भी इतना ही समझ आता है कि कोन से किरदार पर आरी चलाये किस किरदार को कसा जाये और ढीले किरदार को कैसे मजबुत किया जाये लेखनी कब मेरी तलवार बन गयी पता नही चला और इस कलम कागज स्याही से आज मेरी एक नयी पहचान बन गयी कैसे मुझे नही पता है मै बस इतना ही समझ पाया हुँ कि शब्दों मे एक महक होती है लिखे तो महके ,पढे जो बहके मेरा कहना है कि किताबों के काले अक्षरो मे ही जिंदगी की असली सच्चाई छिपी होती है जो काम हम बंदूक और तलवार से नही कर पाते है वही काम कलम से कर सकते है मेरी एक ही तमन्ना है कि जब मेरी मौत आये तब भी मेरे हाथो मे कलम हो और मै मौत को ठहरने को कहुँ फिर मेरे हाथ से अंतिम लाईन लिखकर ही मरूँ ।

Sunday, August 9, 2020

मेरी अंतिम यात्रा - Meri Antim Yatra


हँसते खेलते हुये एक दिन इस दुनिया से चले जाना है

ये दुनिया तो मेरे लिये मात्र बस एक मुसाफिर खाना है


जिस दिन यह साँसे और दिल की धडकन रुक जायेगी

उस दिन इस भवसागर से मेरी भी डोली उठाई जायेगी


लकडी का विमान बनेगा सफेद चादर औढाई जायेगी

घरवालों के नयनन से आँसूओ की गंगा बहाई जायेगी


चार जने मिल कर उठायेगे फिर विमान पर ले जायेगे

राम नाम सत्य है कि आवाज सभी मिल कर लगायेगे


फुलो की बरसात होगी चंदनइत्र से काया महक उठेगी

मुझको इसकी खबर ना होगी घर से दूर लेकर जायेगे


ऊपर लकडी नीचे लकडी होगी उस पर मुझे लेटायेगे

अंतिम घडी का प्रणाम करके मेरे तन मे आग लगायेगे


धुं धुं कर मेरी ये काया जलेगी अंत मे राख हो जायेगी

क्रियाकर्म करेगे मेरा मुझे गरुण पुराण सुनाई जायेगी


बारह दिन तक याद रखेगे फिर सब मुझे भुल जायेगे

मेरी पत्नी कुछ दिन रोयेगी आखिर मै चुप हो जायेगी


मेरे शब्द ही मेरी पहचान बनेगे कलम चुप हो जायेगी

कोरे कागज पर बिखरी ये स्याही मेरी गाथा सुनायेगी


एक था "मनु" लिखता था कभी गजल कविता कहानी

अब उसकी जिंदगी की किताब की भी खत्म हुई कहानी


"दिल की कलम" यहाँ वहाँ गुम होकर गुमनाम हो गई

एक लेखक के अल्फाज की आवाज भी शांत हो गई


मनु 10.01.2020

Friday, August 7, 2020

गागर में सागर भरना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग



शीर्षक - गागर में सागर

वो चमन ही क्या फूल ना हो जिसमे
वो अगन ही क्या शुल ना हो जिसमे

वो खुन ही क्या उबाल ना हो जिसमे
वो मन ही क्या सवाल ना हो जिसमे

वो सुर ही क्या सरगम ना हो जिसमे
वो नुर ही क्या शबनम ना हो जिसमे

वो रात ही क्या सितारे ना हो जिसमे
वो बात ही क्या कुँवारे ना हो जिसमे

वो नदी ही क्या गहराई ना हो जिसमे
वो सदी ही क्या लडाई ना हो जिसमे

वो सागर ही क्या तीर ना हो जिसमे
वो गागर ही क्या नीर ना हो जिसमे

वो आँख ही क्या नमी ना हो जिसमे
वो प्यार ही क्या कमी ना हो जिसमे

वो कलम ही क्या दम ना हो जिसमे
वो गजल ही क्या गम ना हो जिसमे

वो स्याही ही क्या खुन ना हो जिसमे
वो राही ही क्या जुनून ना हो जिसमे

वो शराब ही क्या नशा ना हो जिसमे
वो शबाब ही क्या अदा ना हो जिसमे

वो कहानी ही क्या हीर ना हो जिसमे
वो जवानी ही क्या वीर ना हो जिसमे

वो जप ही क्या श्रीराम ना हो जिसमे
वो तप ही क्या हनुमान ना हो जिसमे

वो तलवार ही क्या धार ना हो जिसमे
वो अवतार ही क्या सार ना हो जिसमे

वो मंजार ही क्या शहीद ना हो जिसमे
वो बाजार ही क्या खरीद ना हो जिसमे

वो सरिता ही क्या शांति ना हो जिसमे
वो कविता ही क्या क्रांति ना हो जिसमे

वो लेखन ही क्या सृजन ना हो जिसमे
वो लेखक ही क्या दर्शन ना हो जिसमे

वो ज्ञान ही क्या तरलता ना हो जिसमे
वो शान ही क्या सरलता ना हो जिसमे

वो प्यास ही क्या तडपन ना हो जिसमे
वो रास ही क्या मनमोहन ना हो जिसमे

वो छाँव ही क्या शीतलता ना हो जिसमे
वो गाँव ही क्या गोपालन ना हो जिसमे

वो दिल ही क्या मोहब्बत ना हो जिसमे
वो शील ही क्या शोहबत ना हो जिसमे

वो आदमी ही क्या क्षमता ना हो जिसमे
वो औरत ही क्या ममता ना हो जिसमे

वो प्यार ही क्या बिछडन ना हो जिसमे
वो यार ही क्या लडकपन ना हो जिसमे

वो भक्ति ही क्या भगवन ना हो जिसमे
वो मुक्ति ही क्या हरिशरन ना हो जिसमे

वो महा वीर ही क्या दया ना हो जिसमे
वो दान वीर ही क्या हया ना हो जिसमे

वो कनक ही क्या चमक ना हो जिसमे
वो खनक ही क्या झनक ना हो जिसमे

वो शर्बत ही क्या मिठास ना हो जिसमे
वो पर्वत ही क्या सु-वास ना हो जिसमे

वो शीप ही क्या     मोती ना हो जिसमे
वो दीप ही क्या    ज्योति ना हो जिसमे

वो स्पर्श ही क्या अहसास ना हो जिसमे
वो विमर्श ही क्या विश्वास ना हो जिसमे

वो तस्वीर ही क्या       रंग ना हो जिसमे
वो तकदीर ही क्या    जंग ना हो जिसमे

वो सुरमा ही क्या  हिम्मत ना हो जिसमे
वो अरमां ही क्या किस्मत ना हो जिसमे

वो मन ही क्या    सुन्दरता ना हो जिसमे
वो तन ही क्या   दयालुता ना हो जिसमे

वो सावन ही क्या बरसात ना हो जिसमे
वो साजन ही क्या जज्बात ना हो जिसमे

वो पायल ही क्या   झंकार ना हो जिसमे
वो घायल ही क्या ललकार ना हो जिसमे

वो अर्पण ही क्या  अच्छाई ना हो जिसमे
वो समर्पण ही क्या सच्चाई ना हो जिसमे

वो जिंदगी ही क्या    संघर्ष ना हो जिसमे
वो बंदगी   ही क्या निस्वार्थ ना हो जिसमे

वो शिक्षा    ही क्या संस्कार ना हो जिसमे
वो भिक्षा    ही क्या उपकार ना हो जिसमे

वो धरम    ही क्या मानवता ना हो जिसमे
वो करम    ही क्या कर्मठता ना हो जिसमे


मनु 17.06.20

Saturday, December 14, 2019

Motivational lines,प्रेरक पंक्तिया

1.किसी दूसरे का गुस्सा घर आकर अपने माँ बाप भाई बहिन ,छोटे बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य पर नही निकालना चाहिए
2.क्योंकि हमारी और हमारे घर की देखभाल माँ बाप भाई बहिन करते है और छोटे बच्चे घर की रौनक बढाते है
3.बाहर के आदमी से माथा फोडी हो तो उस माथा फोडी को घर के अंदर लेकर नही आना चाहिए
4.किसी भी रिश्ते को बनाने से पहले अपने आगे पीछे ,ऊँच नीच और घरवालों का भी सोच लेना चाहिए
5.किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन मे ज्यादा महत्व मत दो क्योंकि उस व्यक्ति के मरने या दूर जाने पर तकलीफ ज्यादा होगी
6.अपने आप को दैनिक कार्यो मे उलझाकर रखो ताकि फालतू बातो पर ध्यान नही जा सके ।
7.परिवार के सारे काम बाँट कर करो ताकि किसी एक पर ज्यादा दबाव ना आने पाये 
8.अपनी निजी बातो को बाहर वालो से कभी भी शेयर मत करो क्योंकि बाहर वाले पहले मीठा बोल कर पुछेगे फिर पीठ पीछे दुनियाभर मे फैलायेगे
9.बाहर के आदमियों को घर के सलाह मशवरो मे इंटरफेयर मत करने दो 
10.घरवाले अगर कोई बात गुस्से मे भी बोले तो उसमे हमारी भलाई छिपी होती है 
11.बाहर वाले कितना भी मीठा बोले लेकिन उनकी बातो मे कदापि गौर ना करे क्योंकि उनकी मीठी बाते मे भी सिर्फ उन्ही का स्वार्थ छिपा होता है 
12.नौकरी करके या अन्य कार्यो से अर्थ अर्जन करे और अपने आपको और अपने परिवार को हर मुसीबत से लडने के लिए मजबूत बनाये 
13.आज पैसो का युग है तो पैसा कमाने मे तत्पर रहना चाहिए हमे हमेशा ,कोई भी कार्य छोटा बडा नही होता है 
14.सफलता पाने के लिए हमेशा घर से बाहर जाना पडता है लोगो को समझना होता है कौन अपना है कौन पराया है 
15.बडे बडे लोगो ने जब घर का मोह त्याग दिया तभी वे कामयाब और महान बने
16.लक्ष्मी को मेहनत और परिश्रम से ही घर लाया जाता है 
17.जो जानवर फिरने जायेगा वही चरके आयेगा , जो जानवर खुटे से बंधा रहेगा , वह भुखे मरेगा
18.ऊपर लिखी बातो का अनुसरण करने के बाद ही भलाई के कार्य मे लगे 
19.अगर किसी से सच्चा प्रेम ना मिले तो ईश्वर से प्रेम करे वो कभी दगा और धोखा नही देगा हमे 
20.जीवन यापन के लिए एक देवता को पकड लो ,लेकिन कभी उससे माँग मत करो 
21.तुम दुनिया के सामने रोओगे तो दुनिया हँसेगी , और अगर तुम हँसोगे तो दुनिया तुमे हँसता देखकर रोऐगी
22.जिस कार्य को करने पर खुद को कष्ट हो कभी नही करना चाहिए
23.जिस कार्य को करने पर परिवार की इज्जत खतरे मे पढे वो नही करना चाहिए
24.कुछ दोस्त ऐसे बनाओ जो स्वार्थी ना हो 
25.हर मुसीबत मे साथ दे उसी से मित्रता रखो ,बाकी सब से दूरी बनाकर रखो , बात बिलकुल भी बंद मत करो क्योंकि कभी भी कोई भी आदमी ईश्वरीय प्रेरणा से हमारी कभी ना कभी सहायता कर सकता है
26.अपने घर पर अपने दोस्तों को कम.से कम लेकर आओ , क्योंकि बहिन बेटी है घर मे , और कलयुग मे कब दोस्त की नजर बिगड जाये पता नही चलता हमे भी 
27.धोखा हमेशा हमे पास रहने वाला ही देता है जो हमारे बारे मे सब कुछ जानता है , सदैव पास रहने वाले से सतर्क रहो
28.बाहर जाते समय या नौकरी पर अपने परिवार की चर्चा मत करो 
29.परिवार मे लाख अनबन हो लेकिन उसे जग जाहिर मत होने दो , 
30.परिवार के किसी भी आदमी पर अगर कोई बाहर का आदमी अँगुली उठाये तो तुरन्त जबाब दे चाहे आपस मे भाई भाई मे लाख अनबन हो 
31.पहले बाहर वाली लडाई खत्म करो फिर घर मे चल रहे आपसी अनबन को खत्म करो 

Friday, December 13, 2019

मुक्ति - एक लघु कथा । Mukti - ek laghu katha

"किसने आवाज दी "कौन है बाहर , बुडी दादी ने जोर से कहा , बुडी दादी जो मेरे घर के पास रहती है उम्र करीब अस्सी साल , और मेरी उम्र मात्र तेरह साल , बुडी दादी की धीरे धीरे याददाश्त आने जाने लगी थी अक्सर वह आधी रात को बहकने लगी थी मैने घर आकर अपनी माँ को बुडी दादी के बारे मे पुछा , माँ ने कहा भरा पुरा परिवार था बुडी दादी का , लेकिन पता नही किसकी नजर लग गयी इस घर को , बुडी दादी के इकलोती बेटी थी बडे ही चाव से शादी की थी उसकी , नाम था अनीता , लेकिन अनीता को ससुराल ऐसा मिला कि सभी उसे दहेज के लिए प्रताडित करते थे और अनीता के पिता तो बहुत पहले मर चुके थे इधर उधर से जोड जुगाड से अनीता की शादी बुडी दादी ने की थी और अंत मे अनीता को भी ससुराल वालो ने दहेज के लालच मे जलाकर मार दिया , बुडी दादी ने बहुत कुछ दुख देखा है अपने जीवन मे , इतना कहकर माँ चुप हो गयी ,लेकिन मैने माँ से कहा कि माँ मे कल बुडी दादी से जरूर मिलने जाऊँगा इतना कहकर मै खाना खाकर खो गया , सुबह मेरी आँखें रोने की आवाज के साथ खुली घर से बाहर आकर देखा तो बुडी दादी के खंडहर हुए घर के बाहर भीड इकट्ठा थी मैने माँ से पुछा कि माँ ये भीड क्यो लगी है बुडी दादी के घर के बाहर , तो माँ ने मुझे बताया कि आज बुडी दादी को सारे दुखो से मुक्ति मिल गयी है बुडी दादी मर चुकी थी और मेरे मन मे बहुत से सवाल थे कि हमे गरीबी , दहेज , बलात्कार , अशिक्षा , जातिवाद , धर्म की लडाई से कब मुक्ति मिलेगी ?

समाप्त
मनु

हताश आदमी लघु कथा

एक आदमी था पुण्य आत्मा जैसा , सस्कारो का खजाना सा , लेकिन फिर भी उसका हर जगह पर तिरस्कार होता था परिवार वाले ही उसके साथ छल कपट धोखा करते थे , अंतरमन तो उस आदमी का परिवार वालो ने छलनी कर रखा था , तो वह आदमी ज्योतिष , पंडितों , नक्षत्रो , ग्रहो , रत्नो मे अपने जीवन मे सुधार करने की सोचता था , फिर उसे एक दिन प्यार हुआ लडकी भी उसे बहुत चाहती थी लेकिन परिवार वालो ने उसके प्यार की कदर नही की , लडकी की शादी ओर कही हो गयी , आदमी का अंतरमन कमजोर तो था ही अब उसका आत्मविश्वास भी टुट गया , जैसे दुनिया लुट गयी हो उसकी , धीरे धीरे समय बीता , उस आदमी के जीवन मे एक लडकी पत्नी बनकर आयी वह आदमी बहुत खुश हुआ नया साथी पाकर , लेकिन इस बार फिर से ग्रहो की चाल बिगड गयी , ज्योतिष , नक्षत्र , रत्न कुछ काम नही आये और उसकी पत्नी ने भी उसके साथ छल किया और उस आदमी के मन को फिर से घायल किया , टुटा मकान सा तो उसका मन पहले से ही था अब एक एक ईट की तरह बिखर गया , बिखरा मकान या वो आदमी मुझे नही पता , उस आदमी ने फिर से अपने आप को मजबूत किया , एक कभी ना थमने वाला युद्ध करने के लिए , निकल पडा वो आदमी एक मोन महाभारत लडने के लिए , अपने ही आदमियों से , लेकिन वो आदमी अब धीरे धीरे थकता जा रहा था क्या वो आदमी थक कर हारेगा ,या मरते दम तक अंतिम साँस तक हर बार लडने के लिए खडा होगा मै अब ये बात उस आदमी पर छोडता हुँ क्या वह आदमी फिर से युद्ध करेगा या हाथ पर हाथ धरे बैठा रहेगा निर्णय उस आदमी को करना है अब , मेरी नजर मे वह आदमी एक महान योद्धा है और आगे भी हमेशा रहेगा ।

भडास कहानी

वास्तविकता को बयान करती और आमजन की ख्वाहिश बयान करती , कहने को लोकतंत्र लेकिन राजतंत्र की कहानी , आम आदमी भी नेताओ की तरह पलटे नही तो क्या करे , नेता भी तो सपने दिखा कर सत्ता मिलते ही पलट जाते है और मिलने जाने पर कहते है , आप कौन हो , कहाँ से आये , क्या काम है , नेताजी अभी थोडा बिजी है, बहुत काम है , एक तुम्हारा ही काम थोडे है , और भी लोग है , राज्य को चलाना भी है , समस्याओं को देखना भी है , और फार्म हाउस पर नेताजी रंगरेलिया ....., और नेताजी की टीम छोटे बडे हर उधोग पति से पैसा लेकर उनके प्लान पास कर रही है , और भी बहुत कुछ है लेकिन शब्द कम पड जाते है क्योंकि लिखने से सुधार नही होता , अगर सुधार होता तो आज रामायण गीता कुरान बाईबल की जरूरत नही होती इस सभ्य समाज को , लिखने वाले को पता था कि जब मेरे कालखंड मे इतनी अराजकता मारकाट युद्ध है तो भविष्य मे कितनी होगी , तो लेखक ने सोचा और लिखा कि भविष्य मे लोग पिछली गलतियों से सिखे लेकिन सिखता कौन है आज , गलतिया दोहरायी जाती है और फिर किसी लेखक की कलम कागज पर चल जाती है , फिर से स्याही बिखर सी जाती है और बदलाव को तरस जाती है सपनो का संसार है ये दुनिया आज भी सभी चाहते है कि ये दुनिया स्वर्ग बन जाये लेकिन बनायेगा कौन स्वयं नही सामने वाला , तलाश करते है एक अच्छे इंसान की लेकिन खुद कभी नही बनते , हम हर वो फिल्में देखते है जिसमे बुराई पर अच्छाई की जीत दिखाई जाती है और वो फिल्में सुपर हिट भी हो जाती है लेकिन देश को कैसे सुपर बनाये इतिहास खून की स्याही से हजारो बार लिखा गया है लिखने वाले के आँखो मे आँसू थे सोचा ये मंजर देख कर भविष्य मे सुधार किया जायेगा मेरा लिखा पढकर इंसान जानवर से भगवान बन जायेगा लेकिन गोली तलवार कैसे चलाये छल कपट धोखा कैसे करे इंसान ने यह सब तो सिख लिया और सुधार करना भुल गया मनुष्य ऐसी चीजे बनाता ही क्यो है जो किसी को जान दे नही सकती जबकि सामने वाले की जान लेकर ही लोटेगी , ये बंदूक ये गोली तलवार हथियार अगर बनाना बंद हो जाये अखबारों मे हर पृष्ठों पर सुविचार छपने लगे चलचित्र मे सब कुछ अच्छा दिखाये पढाई मे नैतिकता का पाठ हो और देश का नेता बच्चा युवा औरत सभी एक साथ ऐसे पथ पर आगे बढे तो हो सकता है सपनो का संसार भी साकार बन सकता है ये संसार भी स्वर्ग .......

Thursday, December 12, 2019

डोर - लघु कथा । Dor - laghu katha

इंसान की डोर बंधी है अनजान हाथो मे जिसे हम सब ईश्वर अल्लाह कहते है वही हम सब को अपने इशारे से नचाता है कभी हँसाता है कभी रूलाता है प्यार भरे रिश्तों के बंधन मे बाँधकर सपनो की ऊँची उडान भरना सिखाता है उस अनजान डोर से बंधकर जीवन हँसी खुशी पवित्र सुमधुर गंगाजल सा बनकर सरिता की तरह बहता जाता है वही अनजान हाथ हमारे जीवन मे सरगम की मधुर धून बजाता है जिस डोर से वह अनजान हाथ हम सब को बाँधकर रखता है वह सात रंगो का धागा होता है जो हमारे जीवन को इन्द्रधनुष की तरह सतरंगी बनाता है हम सब उसके रंग मंच की कठपुतलीया है जिसकी डोर उसके हाथ मे होती है जिसे हम सब ईश्वर भगवान खुदा अल्लाह ईसामसीह पालनहार तारनहार मोक्षदाता मुक्ति दाता विधाता और ना जाने कितने ही नामो से पुकारते है और वही जानता है कि कब कहाँ कौन पहले उसके पास जायेगा ये तो डोर से बांधकर हमे नचाने वाला ही जानता है हम सब को उस ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने हमे यह मानव जन्म दिया है और हमे भी ईमानदारी,दया,प्रेम,अहिंसा,मानवता,शांति,परमार्थ,भक्ति, दुआ और भलाई के मार्ग पर चलकर अपना अमुल्य जीवन सफल बनाना चाहिए ।

आत्मविश्वास - लघु कथा । Self confidence story

स्टेज से आवाज आयी इस साल का पुरस्कार दिया जाता है लेखिका विमला देवी जी को , विमला जी स्टेज पर आई पुरस्कार ग्रहण किया और दो शब्द कहे , इस पुरस्कार पर मेरा नही मेरी बेटी और मेरे पति का हक है अगर ये नही होते तो मै ये कभी नही कर कर सकती थी लेकिन मेरी बेटी के प्रयासो से मै ये कर पाई और मेरे पति ने भी इसमे मेरा खुब सहयोग किया ,मुझे याद है वो दिन जब मेरा एक्सीडेट हुआ और मेरा एक हाथ कट गया था जिस हाथ से मै कभी कलम पकडा करती थी कागज पर लिखा करती थी मै हताश निराश थी मुझे कुछ भी नही सुझ रहा था लेकिन मेरे पति और बेटी हमेशा मेरे साथ थी मुझमे काँनफिडेंस जगाया और मेरे दुसरे हाथ मे कलम थमा दी बहुत प्रयास किया लेकिन दुसरे हाथ से कलम चलाने मे बडी मुश्किल आयी मै हार मान चुकी थी लेकिन मेरे पति और बेटी ने अभी हार नही मानी थी अंत मे असफल प्रयासो के बाद आखिर मे मै सफल हुई और दुसरे हाथ से आज मे अच्छी तरह कलम कागज पर चला सकती हुँ विमला देवी समारोह से घर अपने कमरे मे गयी जहाँ टेबिल पर रखी कलम और कागज दोनो मंद मंद मुस्कुरा रहे थे कलम और कागज दोनो को पता था कि लेखिका विमला जी आज फिर कुछ नया लिखेगी ,और हम दोनो को भी तैयार हो जाना चाहिए , कलम और कागज तैयार थे , विमला जी ने कलम पकडी और कागज पर पहली लाईन लिखी , हारिये ना हिम्मत , किसी के पास जन्म से एक आँख एक पाँव एक हाथ नही है तो कोई इन अंगों को बाद मे खो देता है लेकिन आत्मविश्वास और हिम्मत रखनी चाहिए और अपने से बडो को नही छोटो को देखकर सिखना चाहिए बहुत से लोग बचपन से ही अंधे लुले लंगडे होते है जिन्हे हम अपाहिज कहते है लेकिन अपाहिज तन से नही इंसान मन से होता है अगर मन से ठान ले तो इंसान बहुत कुछ कर सकता है दृढ निश्चय करके हमेशा आगे बढते रहना चाहिए यही इस जीवन का उद्देश्य है ।