Friday, December 13, 2019

हताश आदमी लघु कथा

एक आदमी था पुण्य आत्मा जैसा , सस्कारो का खजाना सा , लेकिन फिर भी उसका हर जगह पर तिरस्कार होता था परिवार वाले ही उसके साथ छल कपट धोखा करते थे , अंतरमन तो उस आदमी का परिवार वालो ने छलनी कर रखा था , तो वह आदमी ज्योतिष , पंडितों , नक्षत्रो , ग्रहो , रत्नो मे अपने जीवन मे सुधार करने की सोचता था , फिर उसे एक दिन प्यार हुआ लडकी भी उसे बहुत चाहती थी लेकिन परिवार वालो ने उसके प्यार की कदर नही की , लडकी की शादी ओर कही हो गयी , आदमी का अंतरमन कमजोर तो था ही अब उसका आत्मविश्वास भी टुट गया , जैसे दुनिया लुट गयी हो उसकी , धीरे धीरे समय बीता , उस आदमी के जीवन मे एक लडकी पत्नी बनकर आयी वह आदमी बहुत खुश हुआ नया साथी पाकर , लेकिन इस बार फिर से ग्रहो की चाल बिगड गयी , ज्योतिष , नक्षत्र , रत्न कुछ काम नही आये और उसकी पत्नी ने भी उसके साथ छल किया और उस आदमी के मन को फिर से घायल किया , टुटा मकान सा तो उसका मन पहले से ही था अब एक एक ईट की तरह बिखर गया , बिखरा मकान या वो आदमी मुझे नही पता , उस आदमी ने फिर से अपने आप को मजबूत किया , एक कभी ना थमने वाला युद्ध करने के लिए , निकल पडा वो आदमी एक मोन महाभारत लडने के लिए , अपने ही आदमियों से , लेकिन वो आदमी अब धीरे धीरे थकता जा रहा था क्या वो आदमी थक कर हारेगा ,या मरते दम तक अंतिम साँस तक हर बार लडने के लिए खडा होगा मै अब ये बात उस आदमी पर छोडता हुँ क्या वह आदमी फिर से युद्ध करेगा या हाथ पर हाथ धरे बैठा रहेगा निर्णय उस आदमी को करना है अब , मेरी नजर मे वह आदमी एक महान योद्धा है और आगे भी हमेशा रहेगा ।

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